
ईशावास्योप्िनषद् (18) यजुर्वेद का चालीसवां अध्याय है। इस मंत्र में ऋषि ने बड़े ही प्रतीकात्मक शब्दों में अग्नि से प्रार्थना की है की – हे अग्निदेव! मुझे ” राये ” अर्थात भौतिक वैभव , ऐश्वर्य-सम्पदा के लिए सुन्दर शुभ पथ से ले चलो। |

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